HINDI
मुझे कहानी किस्से पड़ने में मज़ा आता है सोचा था किसी दिन में भी कहानी लिखूंगा,पर ब्लॉग ... कभी नही सोचा था |
वैसे भी हमारा सोचा कुछ होता ही कहा है| अपना ब्लॉग शुरू करना था तो पहले माथा-पच्ची करनी पड़ी की ब्लॉग का नाम क्या हो ,बहुत नाम सोचे 'bilolur','यथार्थ' आदि पर बात जमी नही ,फिर एका-एक अनुपम खेर जी की पहली फिल्म सारांश का नाम दिमाग में आया सोचा सारांश भी अच्छा नाम है और इसका अर्थ भी बहुत अच्छा है.......
सो मेरे ब्लॉग का नामकरण हो गया |
अब बात आई है के ब्लॉग शुरू तो कर दिया लिखा क्या जाये... कई विषय दिमाग में घुमे कभी लगा फिलोस्फर ही बन जाये आज कल हर कोई फिलोसफी झाड रहा है ,ना.. क्यों ना कॉमेडी से शुरू किया जाये ,कोई सामाजिक विषय वगेरह वगेरह ..
फिर दिमाग में आया मेरा लगाव "हिंदी" तो सोचा क्यों ना अपना पहला ब्लॉग हिंदी में लिखू फिर सोचा विषय क्या हो तो फिर हिंदी मेरी मदाद के लिए आ कड़ी हुई ,कितनी प्यारी है हैं ना|
मुझे हिंदी से नोवी में प्यार हो गया था पता नही वो सुनीता मैम की वजेह से था या हिंदी है ही प्यारी फिर भी वक्त की मारी !!!!!!!
पता नही कब हमारे खून में बसी गुलामी हमारी जबान में आ गयी | हर कोई भेड़ चाल में भागा जा `रहा है हिंदी को रुन्दता!!!
लोग कहते है ये बदलाव है और वक्त के साथ हमें भी बदलना चहिये ,मुझे एक बात कभी समझ में नही आती के हमें भारत में रह कर अपने ही लोगो से बोलने के लिए इंग्लिश की क्या जरुरत है हां एक बात है अगर इंग्लिश ना बोले तो लोग अपनी सुपेरिओरिटी कैसे दिखेंगे ,माना के इंग्लिश आज जरुरी है पर इसे जरुरी बनाया किसने क्या चीन और जापान अपनी जड़ो के साथ आज हम से कही ज्यादा आगे नही है तो हम क्यों नही?????????
में लोगो से बस एक सवाल पूछना चाहता हु के कल जब तुम्हारी माँ बूढी हो जयेगी और उसकी उप्योगिता कम हो जाएगी तो आप उसके साथ भी यही अंजाम करोगे???..............
मुझे हिंदी से प्यार है और उसके लिए कुछ करना चाहता हु |शायद लोग मेरे इस ब्लॉग को पढ़े और दो मिनट के लिए सोचे और मेरे जैसी सोचवाले लोग कुछ करे तो हिंदी का थोडा बहुत भला तो हो ही जाये...